Ruswai Shayari 1 :
Ruswai Shayari :
वादे पे वो मेरे ऐतवार nahi करते,
हम जिक्रए मोहब्बत सरे bazar नहीं करते,
डरता है दिल unki रुसबाई ना हो जाये,
वो समझते है हम उनसे pyar नहीं करते।
Ruswai Shayari 2 :
दुनिया को अपना चेहरा dikhana पड़ा मुझे,
परदा जो दरमियाँ था hatana पड़ा मुझे,
रुसवाइयों के खौफ से भरी mehfil में आज,
फिर उस बेवफा से हाथ milana पड़ा मुझे।
Ruswai Shayari 3 :
उनके लबों पे मेरा नाम जब aaya होगा,
ख़ुद को रुसवाई से फिर kaise बचाया होगा,
सुन के fasana औरों से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना sitam न याद आया होगा?
Shayari 4 :
ज़माने को अपना चेहरा दिखाना pada मुझे,
पर्दा जो दरमियां था hatana पड़ा मुझे,
रुसवाईयों के डर से mehfil में आज,
फिर इस bewafa से हाथ मिलाना पड़ा मुझे।
Shayari 5 :
मैं उस का हूँ वो इस ehsaas से इन्कार करता है,
भरी महफ़िल में भी ruswa मुझे हर बार करता है,
यकीं है सारी दुनिया को, khafa है मुझ से वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से pyaar करता है.
Shayari 6 :
फिर उसी की याद में dil बेक़रार हुआ है,
बिछड़ के जिस से हुयी शहर shahar रुसवाई।
Shayari 7 :
दुनिया भर की रुसवाईयाँ और bechain रातें,
ऐ दिल… कुछ तो बता ये maajra क्या है।
Shayari 8 :
इतना रुसवा किए zindagi ने
कि जख्मों से dushmani न रही,
फ़क़त सिर तो jhuka लिया
आदतन sajde में पर बंदगी न रही.
Shayari 9 :
यूँ ना ruswa होकर,
इस duniya से हम जायेंगे,
आखिरी pal तक
जिन्दगी के safar को हसीन बनायेंगे.
Shayari 10 :
जो दिल के हो करीब उसे ruswa नहीं करते,
यूँ अपनी दोस्ती का tamasha नहीं करते,
ख़ामोश रहोगे तो ghutan और बढ़ेगी
अपनों से कोई बात chupaya नहीं करते..