Ghazal Shayari 1 :
Ghazal Shayari :
तमन्ना छोड़ देते हैं… irada छोड़ देते हैं,
चलो एक दूसरे को फिर से aadha छोड़ देते हैं।
उधर आँखों में manzar आज भी वैसे का वैसा है,
इधर हम भी निगाहों को तरसता chhod देते हैं।
हमीं ने अपनी aankho से समन्दर तक निचोड़े हैं,
हमीं अब आजकल दरिया को pyasa छोड़ देते हैं।
हमारा क़त्ल होता है, mohabbat की कहानी में,
या यूँ कह लो कि हम क़ातिल को zinda छोड़ देते हैं।
हमीं शायर हैं, हम ही तो ghazal के शाहजादे हैं,
तआरुफ़ इतना देकर बाक़ी मिसरा chhod देते हैं।

Ghazal Shayari 2 :
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का uda ले जाऊंगा,
जागते रहना तुझे तुझसे chura ले जाऊंगा।
हो के कदमों पे निछावर phool ने बुत से कहा,
ख़ाक में मिलकर भी मैं khushbu बचा ले जाऊंगा।
कौन सी शय मुझको पहुँचाएगी तेरे shahar,
ये पता तो तब chalega जब पता ले जाऊंगा।
koshisho मुझको मिटाने की भले हो कामयाब,
मिटते मिटते भी मैं mitne का मजा ले जाऊंगा।
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त dushman हो गए,
सब यहीं रह जाएँगी मैं saath क्या ले जाऊंगा।
~ डॉ. कुमार विश्वास

Ghazal Shayari 3 :
कोई जाता है यहाँ से न koi आता है,
ये दीया अपने ही andhere में घुट जाता है।
सब समझते हैं वही रात की kismat होगा,
जो sitara बुलंदी पर नजर आता है।
मैं इसी khoj में बढ़ता ही चला जाता हूँ,
किसका आँचल है जो पर्बतों पर lehraata है।
मेरी आँखों में एक badal का टुकड़ा शायद,
कोई mausam हो सरे-शाम बरस जाता है।
दे tasalli कोई तो आँख छलक उठती है,
कोई samjhaye तो दिल और भी भर आता है।

Ghazal Shayari 4 :
ये जो है हुक्म मेरे paas न आये कोई,
इसलिए rooth रहे हैं कि मनाये कोई।
ताक में है निगाह-ए-शौक khuda खैर करे,
saamne से मेरे बचता हुआ जाए कोई।
हाल अफ़लाक-ओ-ज़मीन का जो bataya भी तो क्या,
बात वो है जो तेरे dil की बताये कोई।
आपने daag को मुँह भी न लगाया अफसोस,
उसको रखता था kaleje से लगाये कोई।
हो चुका ऐश का जलसा तो मुझे khat भेजा,
आप की तरह से mehmaan बुलाये कोई।
~ दाग़ देहलवी

Shayari 5 :
हकीक़त भी यहीं है और है fasana भी,
मुश्किल है किसी का saath निभाना भी।
यूँ ही नहीं कुछ rishte पाक होते हैं,
पल में रूठ जाना भी pal में मान जाना भी।
लिहाज़ नहीं dikhata की हो बेग़ैरत तुम,
लाज़िम है किसी एक vakt में शरमाना भी।
मोहब्बत हो शहर में इश्क़ हर dil में हो,
जरूरी है दीवानी भी जरूरी है deewana भी।
जरा सा सोच-समझ के करना baate आपस में,
होने लगे हैं आजकल के bachhe सयाना भी।
झूठ और sach बता सकता हूँ तेरे चेहरे से,
आया अब तक नहीं एक raaz छुपाना भी।
– प्रभाकर “प्रभू”

Shayari 6 :
Aankho से मेरे इस लिए लाली नहीं जाती,
यादों से कोई raat खा़ली नहीं जाती।
अब उम्र ना मौसम ना raaste के वो पत्ते,
इस दिल की magar ख़ाम ख़्याली नहीं जाती।
माँगे तू अगर जान भी तो has कर तुझे दे दूँ,
तेरी तो कोई baat भी टाली नहीं जात
Shayari 7 :
अपने hotho पर सजाना चाहता हूँ,
आ तुझे मैं गुन gunana चाहता हूँ,
कोई आँसू तेरे daman पर गिरा कर,
boond को मोती बनाना चाहता हूँ,
thak गया मैं करते करते याद तुझको,
अब तुझे मैं yaad आना चाहता हूँ,
Shayari 8 :
बस इक lamha , तेरी ख़ुशबू का , गुज़ारा हमने ,
ज़िन्दगी भर उसे , फिर dil में , संवारा हमने !
जब भी यादों ने , ख़्वाबों से , jagaya है हमें ,
ले के होंठों पे , हँसी तुमको , purana हमने !
कोई कहता हमें , pagal तो , दीवाना भी कोई ,
किया duniya का , यूँ हँसना भी , गंवारा हमने !
वक़्त चलता गया , पानी के , nazaaro की तरह ,
चाहे कितना किया , kashti से , किनारा हमने !
याद है shaam वो , ठहरी तेरी , पहली वो नज़र ,
तब से khoya है , हर इक साँस , हमारा हमने !
Shayari 9 :
ना shikayat है कोई , ना ही है , कोई अब गिला ,
ये तो kismat थी , हमारी जिसे , चाहा ना मिला !
chaandni रात भर , शोलों सी , जलाती थी बदन ,
भूला हूँ ख़्वाब जो , उस raat , हमारा ना खिला !
धूप से दिल की , sookha था इक , ओस का फूल ,
याद पंखुड़ियाँ , kitaabo में , मुझको ना दिला !
अब हुआ जाके यक़ीं , आईने को , neeyat पे मेरी ,
अक्स जब उसको , aankho में , तुम्हारा ना मिला !
साँसों से तेरी , pinghal जाते थे , लब मेरे अक्सर ,
वो vakt याद आये , साक़ी मुझे , इतना ना पिला !
Shayari 10 :
तुझको tanhaiyo में , सजाते रहे ,
उम्र भर यूँ ही हम , gungunaate रहे !
तेरी khamoshiyo से , नहीं था गिला ,
khud को ही सुनते और , सुनाते रहे !
बीते lamhe वो और , गुज़रे हुए दिन ,
ख़ुद की saanso में हम , बसाते रहे !
तुझसे maanga नहीं था , तुझको कभी ,
फिर भी khud को तुझ पे, लुटाते रहे !
aashiqui का तुझको , पता तब चला ,
बिन कहे जब duniya से हम , जाते रहे !
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